गीता में प्रभु अर्जुन से कहते हैं कि धर्म का आचरण उन्हीं लोगों के साथ किया जाता है जो धर्म का पालन करे , उसके साथ नहीं जो धर्म को मानता ही नहीं है ,ऐसी ही गलती बहुत सालों से हिंदुओं ने की जिसके कारण उनका लगभग सब कुछ चला गया क्यूंकी उनके शत्रु ऐसे थे जो उनके धर्म और उसके नियम को मानते ही नहीं थे , ऐसे में उन अधर्मियों के साथ धर्म का पालन करना मूर्खता ही है !
सनातन हिंदू धर्मं को शक्तिशाली करने हेतु प्रत्येक हिंदू को अपने धर्मं का सही अर्थ समझना होगा. अगर हिंदू अपने धर्मं का पक्का होगा तो धर्मं शक्ति शाली होगा. अत: आपके प्रश्नों का स्वागत है.
Saturday, December 29, 2012
गीता में प्रभु अर्जुन से कहते हैं कि धर्म का आचरण उन्हीं लोगों के साथ किया जाता है जो धर्म का पालन करे , उसके साथ नहीं जो धर्म को मानता ही नहीं है ,ऐसी ही गलती बहुत सालों से हिंदुओं ने की जिसके कारण उनका लगभग सब कुछ चला गया क्यूंकी उनके शत्रु ऐसे थे जो उनके धर्म और उसके नियम को मानते ही नहीं थे , ऐसे में उन अधर्मियों के साथ धर्म का पालन करना मूर्खता ही है !
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