sawal - sanatan dharm me bataya gaya hai ki chota ya bada jiv jiv hota hai kisi ko marne se hume paap hota hai...
aur duniya me hr khane layk chez chote chote lakho jivo se bani hoti hai... vo chahe ko anda ho koi murgi ho ya fir koi sabji ho...
hum jo bhi khate hai vo kisi na kisi jivo se bana hota hai aur humare khane se vo marta hai...
to fir masahar khane se hume paap hota hai aur sakahar khane se kyu paap nhi hota ????
मासाहार से पाप क्यों?
आपका यह प्रश्न ही गलत है. और यही तो मेरी पीड़ा भी है कि हिंदू धर्मं के केवल और केवल बाहरी आवरण में उलझा हुआ है और धर्मं का वास्तविक अर्थ के प्रति उदासीन रहता है. खैर मेरा उद्देश्य भी यही है कि इस स्थिति में सुधर हो.
अब सुने -
१. आपका ये मनना गलत है कि हर एक खाने कि वस्तु में प्राणधारी जीव होते है इसलिए सब्जी खाना मासाहार कि श्रेणी में नहीं आता .
२. अगर आप ये मानते है कि वस्तु अनु परमाणु से बनती है और वो जीव है, तो भी आप गलत है. इस स्तिथि में भी केवल वस्तु के अण आपके शारीर के अनुओ से जा मिलती है, जो एक सामान्य जैविक क्रिया है.
३. अब इस संबंध में शास्त्र मत सुने - गीता में भगवन श्री कृष्ण कहते है भक्षय पदार्थ तीन प्रकार के होते है. जो जिसप्रकार का अन्न खता है वो वैसा हो जाता है. मासाहार तम प्रकृति का होता है तो तामस गुण को देता है. तामस गुण परमात्मा प्राप्ति में बाधक होता है. चुकी परमात्मा प्राप्ति सर्वोपरि उद्देश्य है इसलिए मासाहार कि पाप बताकर निषेध कर रखा है शास्त्रों में. असल में भगवन ने पाप नहीं बताया उन्होंने तो विकल्प दिया है. चयन तो हमें करना है अपने उद्देश्य और लक्ष्य के अनुसार.
असल में पाप तो मानव को डराने के लिए और पुण्य मानव के लोभ के लिए होता है. ये धर्मं के बहरी आवरण है. असली लक्ष्य परमात्मा है.
जय श्री राम
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