Sunday, March 17, 2013

कुछ बाते हिन्दुओ के बारे में..


1) अगर हिंदू नाम वेदो में है तो राम या कृशन ने अपने को आर्या क्यो कहा?

: हिन्दू नाम वेदों में नहीं है , हिन्दू कोई मजहब नहीं है जो लोग सप्त सिन्दू नदियो के देश में रहते है उन्हें हिन्दू कहा गया, सिन्दू को indus valley भी कहा गया है जिसके नाम पर india नाम पड़ा. यानि जो लोग इंडिया में रहते है उन्हें हिन्दू कहा गया. हिन्दू शब्द धर्म के लिए मुसलमानों के हिंदुस्तान ने आने के बाद ही प्रयोग किया गया . राम और क्रिशन के समय इस देश का नाम अर्याब्रत था और यह चीन से लेकर श्री लंका और अरब तक फेला था ,जो लोग अर्याब्रत में रहते थे बो आर्यन कहलाये, सभ्य लोगो को आर्यन कहा गया, जब पूरी दुनिया में लोग नागे घूमते थे तब हिंदुस्तान में राम और कृषण जैसे शूरवीर राजा थे.

2) हिंदू मूर्ति पूजा क्यो करते है जबकि वेदो मे ये मना है?

: किसने कहा हिन्दू मूर्ति पूजा करता है , क्या हिन्दू मिटी,कागज ,धातु की पूजा करता है , उत्तर है नहीं जैसे हम अपने चाहने वालो का चित्र बना कर उन्हें अपनी दीवार पर टांग देंते है,और उस चित्र में न तो उसका सरीर होता है ना रक्त ना मॉस और न ही आत्मा , उसे घर में सजा देते है जब उस चाहने वाले की याद आती है तो चित्र को देखते है और मन की आँखों से दरसन हो जाते है , बैसे ही भक्त की भक्ति भगवान् को आकर देती है और उसकी सोच और कल्पना भगवान् को आकार देना सुरू कर देती है .कोई कागज ,मिटी या धातु की पूजा नहीं करता उस मूर्त में उसे अपने भगवान् के दर्शन होते है. इससे साबित हो जाता है की हिन्दू मूर्ति पूजा नहीं करता बल्कि बह तो उस परमेश्वर को अनेक रूपों में देखता है , हर जीव में हर बस्तु में उसे केवेल परमेश्वर के दर्शन होते है , क्या कोई मुसलमान मक्का पर थूक सकता है ? क्या कोई मुसलमान मक्का के चित्र पर थूक सकता है? , अल्लाह तो सात आसमान के ऊपर है मस्जिद में नहीं तो क्या मस्जिद पर थूक सकता है ?, बैसे ही हिन्दू मंदिर जाता है मन की शांति के लिए, मूरत तो बस एक बहाना है असली मकसद उसको पाना है , वेदों में कही नहीं लिखा मूर्ति पूजा मत करो ये जरूर लिखा है की उस परमेश्वर की कोई प्रतिमा नहीं है पर इसका एह मतलब नहीं की प्रतिमा बनाना पाप है बेद कहता है की जो लोग इश्बर की प्रतिमा बनाते है बह एक छोर पकड़ते है और धिरे धिरे उसके दुसरे छोर की और जाते है बह इंसान ही उसके परम निरंकार स्वरुप को जानते है और उसके दुसरे छोर को पा जाते है और उस परमेश्वर में लीन हो जाते है बाकि केवल अँधेरे में रहते है , और मंदिर का अर्थ है मन के अन्दर, मुसलमान बाहरी मूरत को तो तोड़ सकते है पर क्या मन की मूरत को तोड़ पयोगे ?

3) हिंदू जाती मे इतनी भिन्नटाए वा मानताएँ क्यो हैं ?

वेद कहता है की जैसे बारिश का पानी अलग अलग रास्तो या नदियों से होकर अंत में सागर में मिल जाता है बैसे ही जीव भी अलग अलग रास्तो से परमात्मा को पाने का प्रयास करता है और अंत में परम में मिल जाता है ,सब जीवो में उसी की चेतना है , भगवान् ने जीवो को भी तो अलग अलग बनाया है , जो एक को अच्छा लगता है बो दुसरे को नहीं लगता ,सबकी सोच अलग अलग ,इसीलिए भगवान् को पाने का एक रास्ता नहीं हो सकता , हिन्दू धर्म कोई बंधन नहीं मानता है पूरी आजादी है जिसे जो अच्छा लगता है जो उचित लगता है बही करे, भगवान् को कोई फरक नहीं पड़ता जिसे जैसे पूजा करनी हो करे नहीं करनी हो तो न करे , "कहते है जैसी करनी बैसी भरनी " मुसलमनो में भी तो कई अलग अलग बिचारो वाले लोग है जैसे सिया और सुन्नी, कुछ मुहम्मद को अपना पैगम्बर मानते है कुछ अली को पैगम्बर मानते है , मुसलमानों ने भी कई अलग जातियो का मुस्लिम समाज को बनाया हुआ है और इनमे तो उंच नीच भी है , नमाज पड़ने के तरीके अलग अलग है कोई नमाज अरबी में पड़ता है ,कोई चुप चाप केवेल सुनता है और झुकता है, पहले तो यह साबित करो की झुक कर नमाज पड़ कर अल्लाह की पूजा हो जाती है ,कोई गारंटी है की अल्लाह की इबादत बाकई सच में होती है या ये सब ढोंग है दुनिया को दिखने के लिए.


4)हिंदू धर्म में स्त्री की क्या अहमियत है?

हिन्दू धर्म वेद में स्त्री को जगत जननी माता कहा गया है, उसे पुरुष की आदि शक्ति भी कहा गया है , मुसलमनो की तरह केवेल शारीरिक उपभोग की बस्तु नहीं माना गया ,जिसे जब दिल किया मुस्लिम पत्नी को दिनभर कंबल जैसे बुर्का मेँ बंद करके रख देँ। तेज गरमी हो या सर्दी । जब यौन जरुरत होँ खोलेँ ,युज करेँ फिर पैक कर देँ। विरोध करे तो छडी से पीटो, कुरान आपके साथ है । मस्जिद में औरतों पर पाबन्दी क्यों?विश्व के जितने भी बड़े धर्म है , सभी में उनके उपासना ग्रहों में पुरुषों के साथ स्त्रियों प्रवेश करने की अनुमति दी गयी है . जसे मंदिरों में अक्सर हिन्दू पुरुष अपनीपत्नियों और माता बहिनों के साथ पूजाऔर दर्शन ......के लिए जाते है . गुरुद्वारों में भी पुरुष -स्त्री साथ ही अरदास करते है . और चर्च में भीऐसा ही होता है ,लेकिन कभी किसी ने इस बात पर गौर किया है कि पुरषोंके साथ औरतें दरगाहों में तो जा सकती हैं,लेकिन मस्जिदों में उनके प्रवेश पर पाबन्दी क्यों है .जबकि इस्लाम पुरुष और स्त्री की समानता का दावा करता है

5)हिंदू वाक्य का क्या मतलब होता है ?

-हिन्दू कोई मजहब नहीं है जो लोग सप्त सिन्दू नदियो के देश में रहते है उन्हें हिन्दू कहा गया, सिन्दू को indus valley भी कहा गया है जिसके नाम पर india नाम पड़ा. यानि जो लोग इंडिया में रहते है उन्हें हिन्दू कहा गया. धर्म के लिए यह नाम मुसलमानों के हिंदुस्तान ने आने के बाद ही प्रयोग किया गया है.

6) हिंदू इतना कायर क्यो होता है?

-हिन्दू सब इंसानों और धर्मो का सम्मान करता आया है इसीलिए सब लोगो की सुख की कामना करता है-कोई मजहब का भेद नहीं मानता सब इंसानों को एक ही मानता है और यह मानता है की इश्बर की पूजा करने के लिए मुसलमान या हिन्दू होने की जरुरत नहीं है , सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामय: ।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चि दु:ख भाग्भवेत॥ इसीलिए मुसलमानों ने हमारी उदारता का गलत फायदा उठाया और हमारी खमोसी को कमजोरी समझा इसका फायदा धर्म प्रचार के लिए किया , और मुसलमान इसे कायरता कहते है , पानी सर से ऊपर हो जायेगा तो तुम्हे हिन्द शेरो से कोई नहीं बचा सकता , इतिहास गबाह है मुसलमान जैसा कायर अब तक इस धरती पर नहीं है जब ये तादात में थोड़े होते है तो PEACE PEACE की बात करते है जब तादात में बढ जाती है तो गीदरो की तरह हमला बोल देते है, दुसरे के धर्म का मजाक उड़ाते है अपने धर्म का प्रचार करने के लिए जूठ भी बोलते है

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