Sunday, January 13, 2013

महाभारत काल मे हुआ था परमाणु बम मिसाइल का प्रयोग


महाभारत काल मे हुआ था परमाणु बम,
मिसाइल का प्रयोग !!
काश हिन्दू विरोधी और तथाकथित धर्म
निरपेक्षता के घिनोने विकार से ग्रस्त
हमारे इतिहासकर शिक्षा मे यह ध्यान देते
कि विज्ञान मे हुए सर्व ‘मूल
आविष्कारों का जनक’ भारत देश है।
पिछले दिनों इस बात का खुलासा हुआ
कि मोहन जोदड़ों में कुछ ऐसे कंकाल मिले थे,
जिसमें रेडिएशन का असर था । महाभारत में
सौप्टिकपर्व अध्याय १३ से १५ तक
ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिये गएहै । Great
Event of the 20th Century. How
they changed our lives ? इस
विश्वासाई पुस्तक में हिरोशिमा नामक
जापान के नगर पर एटम बम फेंकने के बाद
जो परिणाम हुए उसका वर्णन हैं
दोनों वर्णन मिलते झूलते हैं । यह देख हमें
विश्वास होता हैं कि 3 नवंबर ५५६१
ईसापूर्व छोड़ा हुआ ब्रह्मास्त्र atomic
weapon अर्थात परमाणु बम ही था ।
महाभारत युद्ध का आरंभ १६ नवंबर
५५६१ ईसा पूर्व हुआ और १८ दिन चलाने
के बाद २ नवंबर ५५६१ ईसा पूर्व
को समाप्त हुआ उसी रात दुर्योधन ने
अश्वथामा को सेनापति नियुक्त किया । ३
नवंबर ५५६१ ईसा पूर्व के दिन भीम ने
अश्वथामा को पकड़ने का प्रयत्न किया ।
तब अश्वथामा ने जो ब्रह्मास्त्र छोड़ा उस
अस्त्र के कारण जो अग्नि उत्पन्न हुई वह
प्रलंकारी था । वह अस्त्र प्रज्वलित हुआ
तब एक भयानक ज्वाला उत्पन्न हुई
जो तेजोमंडल को घिर जाने समर्थ थी ।
अंग्रेज़ भी मानने लगे है की वास्तव मे
महाभारत मे परमाणु बम का प्रयोग हुआ
था, जिस पर शोध कार्य चल रहे है । पुणे के
डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने
तो 40 वर्ष पहले ही सिद्ध
किया था कि वह महाभारत के समय
जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल
किया गया था वह परमाणु बम के समान
ही था।
परमाणु बम के जनक J. Robert
Oppenheimer ने परमाणु बम के पहले
परीक्षण के बाद एक साक्षात्कार में
कहा की परमाणु बम बनाने
की प्रेरणा उन्हें श्री मद्भागवत गीता से
मिली है।
यहाँ व्यास लिखते हैं कि “जहां ब्रहास्त्र
छोड़ा जाता है वहीं १२ व्रषों तक
पर्जन्यवृष्ठी नहीं हो पाती “।
३ नवंबर ५५६१ ईसा पूर्व के दिन
छोड़ा हुआ ब्रह्मास्त्र और ६ अगस्त १९४५
को फेंका गया एटम बम इन दोनों के
परिणामों के साम्य अब देखें । दो घटनाओ के
बीच ७५०६ वर्ष व्यतीत हो गए है
तो भी दोनों मे पूर्ण साम्य दिखता है ।
महाभारत में बताया है की अश्वत्थामा ने
ऐषिका के साथ ब्रह्माश्त्र छोड़ा था इस
‘ऐषिका’ शब्द में ‘इष’ अर्थात ज़ोर से
फेंकना यह धातु हैं । इससे अर्थ हो जाता है
कि ऐषिका एक साधन था जिससे अस्त्र
फेंका जाता था । जैसे आज मिसाइल होते हैं
जो परमाणु बम को ढ़ोने मे कारगर होते है ।
रॉकेट को भी ऐषिका कहा जा सकता है ।
।। जयतु संस्कृतम् । जयतु भारतम् ।।
 
महाभारत काल मे हुआ था परमाणु बम,
मिसाइल का प्रयोग !!
काश हिन्दू विरोधी और तथाकथित धर्म
निरपेक्षता के घिनोने विकार से ग्रस्त
हमारे इतिहासकर शिक्षा मे यह ध्यान देते
कि विज्ञान मे हुए सर्व ‘मूल
आविष्कारों का जनक’ भारत देश है।
पिछले दिनों इस बात का खुलासा हुआ
कि मोहन जोदड़ों में कुछ ऐसे कंकाल मिले थे,
जिसमें रेडिएशन का असर था । महाभारत में
सौप्टिकपर्व अध्याय १३ से १५ तक
ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिये गएहै । Great
Event of the 20th Century. How
they changed our lives ? इस
विश्वासाई पुस्तक में हिरोशिमा नामक
जापान के नगर पर एटम बम फेंकने के बाद
जो परिणाम हुए उसका वर्णन हैं
दोनों वर्णन मिलते झूलते हैं । यह देख हमें
विश्वास होता हैं कि 3 नवंबर ५५६१
ईसापूर्व छोड़ा हुआ ब्रह्मास्त्र atomic
weapon अर्थात परमाणु बम ही था ।
महाभारत युद्ध का आरंभ १६ नवंबर
५५६१ ईसा पूर्व हुआ और १८ दिन चलाने
के बाद २ नवंबर ५५६१ ईसा पूर्व
को समाप्त हुआ उसी रात दुर्योधन ने
अश्वथामा को सेनापति नियुक्त किया । ३
नवंबर ५५६१ ईसा पूर्व के दिन भीम ने
अश्वथामा को पकड़ने का प्रयत्न किया ।
तब अश्वथामा ने जो ब्रह्मास्त्र छोड़ा उस
अस्त्र के कारण जो अग्नि उत्पन्न हुई वह
प्रलंकारी था । वह अस्त्र प्रज्वलित हुआ
तब एक भयानक ज्वाला उत्पन्न हुई
जो तेजोमंडल को घिर जाने समर्थ थी ।
अंग्रेज़ भी मानने लगे है की वास्तव मे
महाभारत मे परमाणु बम का प्रयोग हुआ
था, जिस पर शोध कार्य चल रहे है । पुणे के
डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने
तो 40 वर्ष पहले ही सिद्ध
किया था कि वह महाभारत के समय
जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल
किया गया था वह परमाणु बम के समान
ही था।
परमाणु बम के जनक J. Robert
Oppenheimer ने परमाणु बम के पहले
परीक्षण के बाद एक साक्षात्कार में
कहा की परमाणु बम बनाने
की प्रेरणा उन्हें श्री मद्भागवत गीता से
मिली है।
यहाँ व्यास लिखते हैं कि “जहां ब्रहास्त्र
छोड़ा जाता है वहीं १२ व्रषों तक
पर्जन्यवृष्ठी नहीं हो पाती “।
३ नवंबर ५५६१ ईसा पूर्व के दिन
छोड़ा हुआ ब्रह्मास्त्र और ६ अगस्त १९४५
को फेंका गया एटम बम इन दोनों के
परिणामों के साम्य अब देखें । दो घटनाओ के
बीच ७५०६ वर्ष व्यतीत हो गए है
तो भी दोनों मे पूर्ण साम्य दिखता है ।
महाभारत में बताया है की अश्वत्थामा ने
ऐषिका के साथ ब्रह्माश्त्र छोड़ा था इस
‘ऐषिका’ शब्द में ‘इष’ अर्थात ज़ोर से
फेंकना यह धातु हैं । इससे अर्थ हो जाता है
कि ऐषिका एक साधन था जिससे अस्त्र
फेंका जाता था । जैसे आज मिसाइल होते हैं
जो परमाणु बम को ढ़ोने मे कारगर होते है ।
रॉकेट को भी ऐषिका कहा जा सकता है ।
।। जयतु संस्कृतम् । जयतु भारतम् ।।

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