Friday, December 14, 2012

क्यों हुई माता सीता कि अग्नि परीक्षा?

आज कल बहुत से अर्धज्ञान वाले लोग प्रभु श्री राम द्वारा माता सीता के प्रति संदेह के कारण कि गयी अग्नि परीक्षा को पुरुष प्रधान समाज द्वारा महिला पर अत्याचार होना बताते है.......उनको ये जवाब है.

बहुत से लोग जिन्हें रामायण के बारे में कोई ज्ञान नहीं उसका असली अर्थ नहीं पता हमेशा ये बात कहते हैं कि भगवन श्री राम ने सीता माता को पवित्र होते हुए भी अग्नि परीक्षा देने के लिए क्यों कहा? उनका उद्देश्य बस कुतर्क करके सनातन धर्म कि बुराई करना होता है| बहुत से लोग हैं जिन्हें इस घटना का असली अर्थ पता है पर जिन्हें नहीं पता वे लोग इसे पढ़ें और जिन लोगों को नहीं पता उन्हें यह सत्य बात बता कर उनका ज्ञ
ान बढ़ाएँ|

भगवन श्री राम भगवन विष्णु के अवतार थे| उन्होंने यह जन्म एक मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में लिया| इस अवतार में उन्होंने ऐसा जीवन जीया जिसे हर पुरुष को जीना चाहिए| वह भगवन थे इसलिए उन्हें भविष्य कि हर घटना का ज्ञात था| जब सीता माता के रावण द्वारा अपहरण करने और आगे कि घटनाओं के घटित होने का समय निकट आया तब एक दिन वन में अपनी कुटिया में यह बात सीता माता को बताई और उन्हें कहा कि जनकल्याण के लिए अब उन्हें अपने से दूर करना होगा| परन्तु सीता माता भी धरती माँ कि पुत्री और उनकी भार्या थीं और आगे चलकर उन्हें कई कष्ट सहने थे तब तब प्रभु राम ने अग्नि देव कि
स्तुति कि और उन्हें बताया कि जब तक रावण वध नहीं हो जाता तब तक मैं अपनी पत्नी को आपके सपुर्द करता हूँ और आप सीता का एक प्रतिबिम्ब(Clone) तब तक इनके स्थान पर भेज दीजिए जिससे इन घटनाओं को पूर्ण होने में मेरी सहायता हो जाये|तब अग्नि देव ने सीता माता को सुरक्षित अपने पास बुला लिया और लोगों को दिखे इसलिए सीता माता का एक प्रतिबिम्ब इस संसार में आ गया|

प्रमाण के लिए श्री राम चरित मानस के अरण्य कांड का दोहा न- २३ की चौपाई स.- १ और २ देखे.


रावण वध के बाद जब सीता माता को लंका से वापस अयोध्या लेकर जाना था तब प्रभु को उस प्रतिबिम्ब को वापस अग्नि देव को सुपुर्द करना था तथा सीता माता को सकुशल अपने साथ अयोध्या लेकर लौटना था| यही असल कारण था सीता माता कि अग्नि परीक्षा का तथा इस घटना से समाज के लोगों को यह सन्देश भी देना था कि नारी से पवित्र और कोई नहीं, एक विवाहित नारी के लिए उनका पति ही पूजनीय होता है और वो अपने पति के अलावा और किसी पुरुष के बारे में सोच भी नहीं सकती|नारी को अपनी पवित्रता का प्रमाण देने के लिए चाहे अग्नि परीक्षा देनी पड़े परन्तु वह अपनी पवित्रता कभी नहीं छोडती है|

4 comments:

  1. "तब एक दिन वन में अपनी कुटिया में यह बात सीता माता को बताई और उन्हें कहा कि जनकल्याण के लिए अब उन्हें अपने से दूर करना होगा" Ye ramayan ke kaun se kand/adhyayy me hai???
    Maine to pahli baar suna hai..

    "एक विवाहित नारी के लिए उनका पति ही पूजनीय होता है और वो अपने पति के अलावा और किसी पुरुष के बारे में सोच भी नहीं सकती" Iska kya matlab hai? Matlab patni kisi aur ke bare me nhi soch sakti, lekin pati soch sakta hai.. Ye to khuli asamanata hai bhai..
    Jawab do hai ki nhi?

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    1. १. जी श्रीमान जी ..आपको जल्द ही जवाब दिया जायेगा.

      २. सोचने से मतलब यहाँ पर सम्बन्ध बनाने से है. ये बात पति पर भी लागु होती है. श्री राम ने ये कर के दिखाया अपने चरित्र में. अगर वे चाहते तो दूसरा विवाह कर सकते थे..पर एक पत्नी ही होनी चाहिए ये उन्होंने कर के दिखाया. उनका चरित्र अनुसरण (अपनाने) योग्य है.

      जय श्री राम.

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    2. प्रमाण के लिए श्री राम चरित मानस के अरण्य कांड का दोहा न- २३ की चौपाई स.- १ और २ देखे.

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  2. Also read रामायण में सीता की अग्नि परीक्षा के बारे में गलत धारणा क्यों?here https://hi.letsdiskuss.com/why-misconception-about-sita-s-ordeal-in-ramayana

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