Friday, December 28, 2012


कर्मों को तीन वर्गों में समझा जाता है, जिनको कि हम बैंक के account के रूप में समझ सकते हैं -

च) सञ्चित - यह एक savings account की तरह होता है, जिसमें कि जन्म-जन्मान्तरों से किए गये हमारे कर्म जुड़ते जाते हैं - पुण्य positive account balance में और पाप negative account balance में ।

छ) प्रारब्ध - सञ्चित में से जो कर्म इस जन्म में फलित होने वाले हैं, गर्भाधान होते ही, वे इस current account में transfer हो जाते हैं । जैसे जैसे फल मिलता जाता है, वैसे वैसे कर्माशय debit होकर, current account balance कम हो जाता है ।

ज) क्रियमाण - इस जन्म में जो हम कर्म करते जा रहे हैं, उनके कर्माशय इसमें जुड़ते जाते हैं । इनमें से कुछ कर्म इसी जन्म में फल देंगे । वे प्रारब्ध में transfer हो जाते हैं । जो अन्य जन्मों में फल देंगे, वे मृत्यु के बाद सञ्चित कर्मों में जुड़ जायेंगे ।
कर्मों को तीन वर्गों में समझा जाता है, जिनको कि हम बैंक के account के रूप में समझ सकते हैं -

च) सञ्चित - यह एक savings account की तरह होता है, जिसमें कि जन्म-जन्मान्तरों से किए गये हमारे कर्म जुड़ते जाते हैं - पुण्य positive account balance में और पाप negative account balance में । 

छ) प्रारब्ध - सञ्चित में से जो कर्म इस जन्म में फलित होने वाले हैं, गर्भाधान होते ही, वे इस current account में transfer हो जाते हैं । जैसे जैसे फल मिलता जाता है, वैसे वैसे कर्माशय debit होकर, current account balance कम हो जाता है । 

ज) क्रियमाण - इस जन्म में जो हम कर्म करते जा रहे हैं, उनके कर्माशय इसमें जुड़ते जाते हैं । इनमें से कुछ कर्म इसी जन्म में फल देंगे । वे प्रारब्ध में transfer हो जाते हैं । जो अन्य जन्मों में फल देंगे, वे मृत्यु के बाद सञ्चित कर्मों में जुड़ जायेंगे ।

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