Monday, April 15, 2013

हनुमान जी की उपासना


हनुमान जी की उपासना केवल भारत भूमि में ही नहीं अपितु विश्व के अन्य भाग जैसे जावा-सुमित्रा’ लंका, थाई, मारीशस, बर्मा अफगानिस्तान, जापान आदि से लेकर यूरोप व समस्त विश्व में होती है। श्री हनुमान उन सप्तऋषि में से एक है जिन्हें वरदान प्राप्त है कि चिरंजीवी रहेंगे- (अश्ववत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, शक, कृपाचार्य परशुराम)

हनुमान वेग में वायु देवता तथा गति में गरुड़ देवता के सक्षम हैं। भगवान के उत्तर दिशा के पार्षद कुबेर की गदा इन पर रहती है जिसमें अधर्म करने को दण्ड देने के अधिकारी हैं। इनकी गदा संग्राम में विजय दिलाने वाली हैं अतः साधकों को धर्मच्युत व्यवहार के लिए मारुति की गदा का भी ध्यान व पूजन अभीष्ट है।

यदि साधक मृत्युतुल्य कष्ट से ग्रस्त हो, तो मंगलमूर्ति का ध्यान हाथ में संजीवनी का पहाड़ लिये, साथ में सुषेण वैद्य का भी ध्यान करना चाहिये।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।

यह हमेशा याद रखें कि हनुमत सिद्ध के लिये राम उपासना की बहुत आवश्यकता है। क्योंकि भगवान राम के अयोध्या से साकेत को प्रस्थान करते समय हनुमान को आदेश दिया था कि तुम मेरी कथा का प्रचार-प्रसार करते हुये मेरे भक्तों के समीप रहो, कल्पपर्यन्त पृथ्वी पर निवास करते रहो। अतः जहाँ भी रामकथा होती है हनुमान अपने लूक्ष्म शरीर से उपस्थित रहते हैं। तुलसी बाबा ने इनके सान्निध्य से ही रामकथा मानस पूरी की।

==== जय श्री राम ====
हनुमान जी की उपासना केवल भारत भूमि में ही नहीं अपितु विश्व के अन्य भाग जैसे जावा-सुमित्रा’ लंका, थाई, मारीशस, बर्मा अफगानिस्तान, जापान आदि से लेकर यूरोप व समस्त विश्व में होती है। श्री हनुमान उन सप्तऋषि में से एक है जिन्हें वरदान प्राप्त है कि चिरंजीवी रहेंगे- (अश्ववत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, शक, कृपाचार्य परशुराम)

हनुमान वेग में वायु देवता तथा गति में गरुड़ देवता के सक्षम हैं। भगवान के उत्तर दिशा के पार्षद कुबेर की गदा इन पर रहती है जिसमें अधर्म करने को दण्ड देने के अधिकारी हैं। इनकी गदा संग्राम में विजय दिलाने वाली हैं अतः साधकों को धर्मच्युत व्यवहार के लिए मारुति की गदा का भी ध्यान व पूजन अभीष्ट है।

यदि साधक मृत्युतुल्य कष्ट से ग्रस्त हो, तो मंगलमूर्ति का ध्यान हाथ में संजीवनी का पहाड़ लिये, साथ में सुषेण वैद्य का भी ध्यान करना चाहिये।

दुर्गम काज जगत के जेते। 
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।

यह हमेशा याद रखें कि हनुमत सिद्ध के लिये राम उपासना की बहुत आवश्यकता है। क्योंकि भगवान राम के अयोध्या से साकेत को प्रस्थान करते समय हनुमान को आदेश दिया था कि तुम मेरी कथा का प्रचार-प्रसार करते हुये मेरे भक्तों के समीप रहो, कल्पपर्यन्त पृथ्वी पर निवास करते रहो। अतः जहाँ भी रामकथा होती है हनुमान अपने लूक्ष्म शरीर से उपस्थित रहते हैं। तुलसी बाबा ने इनके सान्निध्य से ही रामकथा मानस पूरी की। 

==== जय श्री राम ====

No comments:

Post a Comment