सनातन धर्म की जाती व्यवस्था प्रारंभ से ही सबको खटकती थी इसी को अंत करने के उद्देश्य से विभिन्न मत पन्थ बने। उनके संग क्या हुआ आइये जानते हैं क्रमबद्ध तरीके से आये मत।
1. बौद्ध मत: वेदवर्णित जाती व्यवस्था के विरुद्ध आया मत जिसने पुरजोर जातिवाद का विरोध किया किन्तु अंततः स्वयं विभिन्न जातियों ओर मतों में बंट गया जैसे हीनयान बौद्ध, महायान बौद्ध , वज्रयान बौद्ध, थेरवाद बौद्ध इत्यादि।
2. जैन धर्म: जातिव्यवस्था का विरोध किन्तु अंततः और वर्तमान में दिगम्बर, श्वेताम्बर, सौंगढ़िया जैन इत्यादि। उसमें भी दिगम्बर में सिंघई, सवा सिंघई, साढ़े सिंघई जैसी जातियां बनी।
3: ईसाइयत: एक इसु मसीह द्वारा बनाया मत जोकि एक ईश्वर की संतान सबको बताता था किंतु वर्तमान में सबसे ज़्यादा बंटा कैथोलिक, प्रोटोस्टेंट, एवेंजलिस्ट, मॉरमॉन, बैप्टिस्ट, इत्यादि अनेक प्रकार की जाती मतों में।
4. मुहम्मद का इस्लाम: मुहम्मद द्वारा इस्लाम लाया गया जिसमें एक अल्लाह एक रसूल सब एक अल्लाह के बनाए आदम के पुत्र कोई जातिवाद नही किन्तु अंततः मुहम्मद के मरते ही और वर्तमान में सुन्नी, शिया, वहाबी, सल्फी, बोहरा, हनफ़ी, कादियानी, अल्वी इत्यादि और सब एक दूसरे के खून के प्यासे। कम से कम हिन्दू सभी जाति के मरने मिटने एक दूसरे को सोचते तक नहीं।
उसमे भी सुन्नियों में पठान, सैय्यद, रंगरेज़ से लेकर विभिन्न ऊंच नीच जाती जिसमे जमकर भेदभाव होता है।
5: सिख: गुरुनानक जी के विचारों से बना एक पन्थ जो एक सच्चे निराकार वाहेगुरु की उपासना करता और जिनके ग्रन्थ में सभी एक ईश्वर के पुत्र बिना भेद भाव जाट पात के बताए गए किन्तु वर्तमान में यह भी पापे(लाले), जट्ट, ट्रखांण(रमगरिया) और चमार में बंटा है और पंजाब साइड जाओगे तो पापे बनाम जट्ट तो खूब चलता है। इनमे भी जट्ट पापे लोग चमार और रमगरियों के यहां न विवाह करते न पानी तक पीते।
सार क्या निकला?
तुम्हारे मतों में तो जातिवाद नही था तो भी इतनी जातियों में बंट गया इससे समझ जाओ जातिवाद ईश्वर की ही एक देन उपहार है जोकि हमारे शास्त्रों में वर्णित है और हम मानते हैं और तुम्हारे शास्त्रों में वर्णित न होकर भी तुम मान ही रहे हो भले किसी अन्य तरीके से।
सभी विचार अवश्य कीजियेगा।
जय श्रीराम
1. बौद्ध मत: वेदवर्णित जाती व्यवस्था के विरुद्ध आया मत जिसने पुरजोर जातिवाद का विरोध किया किन्तु अंततः स्वयं विभिन्न जातियों ओर मतों में बंट गया जैसे हीनयान बौद्ध, महायान बौद्ध , वज्रयान बौद्ध, थेरवाद बौद्ध इत्यादि।
2. जैन धर्म: जातिव्यवस्था का विरोध किन्तु अंततः और वर्तमान में दिगम्बर, श्वेताम्बर, सौंगढ़िया जैन इत्यादि। उसमें भी दिगम्बर में सिंघई, सवा सिंघई, साढ़े सिंघई जैसी जातियां बनी।
3: ईसाइयत: एक इसु मसीह द्वारा बनाया मत जोकि एक ईश्वर की संतान सबको बताता था किंतु वर्तमान में सबसे ज़्यादा बंटा कैथोलिक, प्रोटोस्टेंट, एवेंजलिस्ट, मॉरमॉन, बैप्टिस्ट, इत्यादि अनेक प्रकार की जाती मतों में।
4. मुहम्मद का इस्लाम: मुहम्मद द्वारा इस्लाम लाया गया जिसमें एक अल्लाह एक रसूल सब एक अल्लाह के बनाए आदम के पुत्र कोई जातिवाद नही किन्तु अंततः मुहम्मद के मरते ही और वर्तमान में सुन्नी, शिया, वहाबी, सल्फी, बोहरा, हनफ़ी, कादियानी, अल्वी इत्यादि और सब एक दूसरे के खून के प्यासे। कम से कम हिन्दू सभी जाति के मरने मिटने एक दूसरे को सोचते तक नहीं।
उसमे भी सुन्नियों में पठान, सैय्यद, रंगरेज़ से लेकर विभिन्न ऊंच नीच जाती जिसमे जमकर भेदभाव होता है।
5: सिख: गुरुनानक जी के विचारों से बना एक पन्थ जो एक सच्चे निराकार वाहेगुरु की उपासना करता और जिनके ग्रन्थ में सभी एक ईश्वर के पुत्र बिना भेद भाव जाट पात के बताए गए किन्तु वर्तमान में यह भी पापे(लाले), जट्ट, ट्रखांण(रमगरिया) और चमार में बंटा है और पंजाब साइड जाओगे तो पापे बनाम जट्ट तो खूब चलता है। इनमे भी जट्ट पापे लोग चमार और रमगरियों के यहां न विवाह करते न पानी तक पीते।
सार क्या निकला?
तुम्हारे मतों में तो जातिवाद नही था तो भी इतनी जातियों में बंट गया इससे समझ जाओ जातिवाद ईश्वर की ही एक देन उपहार है जोकि हमारे शास्त्रों में वर्णित है और हम मानते हैं और तुम्हारे शास्त्रों में वर्णित न होकर भी तुम मान ही रहे हो भले किसी अन्य तरीके से।
सभी विचार अवश्य कीजियेगा।
जय श्रीराम
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