प्रश्न - राष्ट्रीय ग्रन्थ क्या होना चाहिए ? वेद या गीता ??
उत्तर - गीता ही राष्ट्रीय ग्रन्थ होना चाहिए , जो धूर्त आर्य समाजी लोग हिन्दू धर्म के विषय में इतने अज्ञानी हैं कि स्वयं "हिंदुत्व " इस शब्द पर ही लोगों को निराधार तथ्यों से अक्सर भ्रमित करते रहते हैं | इस प्रकार के लोग जो वेद को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग कर रहे हैं , इसके पीछे इनकी अपनी सनातन धर्म विरोधी मानसिकता लादने की बहुत गहरी साजिश काम कर रही है | उन असुरों को ये तक नहीं मालूम कि वेद कहते किसे हैं |
अनंता वै वेदाः - इस शतपथ वचन के अनुसार वेद अनन्त हैं | इन मूर्ख समाजियों का चार संहिताओं मात्र को वेद कहना अर्धकुक्कुटी न्याय जैसा है , क्योंकि संहिता , ब्राह्मण , आरण्यक और उपनिषदों से लेकर समस्त उपवेद भी वेद नाम से गृहीत होते हैं |
वेदों को संकुचितता का जामा पहनाकर देकर अपना म्लेच्छ सिद्धान्त हिन्दू समाज पर हावी करने की साजिश रचाने वाले समाजी असुरों से सावधान रहें !!!!
हिन्दू कभी किसी फर्जी महर्षि दयानंद की नहीं अपितु वास्तविक महर्षि वेदव्यास की सुनकर चलते हैं -
एकं शास्त्रं देवकीपुत्रगीतमेको देवो देवकीपुत्र एव |
एको मन्त्रस्तस्य नामानि यानि कर्माप्येकं तस्य देवस्य सेवा ||
उत्तर - गीता ही राष्ट्रीय ग्रन्थ होना चाहिए , जो धूर्त आर्य समाजी लोग हिन्दू धर्म के विषय में इतने अज्ञानी हैं कि स्वयं "हिंदुत्व " इस शब्द पर ही लोगों को निराधार तथ्यों से अक्सर भ्रमित करते रहते हैं | इस प्रकार के लोग जो वेद को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग कर रहे हैं , इसके पीछे इनकी अपनी सनातन धर्म विरोधी मानसिकता लादने की बहुत गहरी साजिश काम कर रही है | उन असुरों को ये तक नहीं मालूम कि वेद कहते किसे हैं |
अनंता वै वेदाः - इस शतपथ वचन के अनुसार वेद अनन्त हैं | इन मूर्ख समाजियों का चार संहिताओं मात्र को वेद कहना अर्धकुक्कुटी न्याय जैसा है , क्योंकि संहिता , ब्राह्मण , आरण्यक और उपनिषदों से लेकर समस्त उपवेद भी वेद नाम से गृहीत होते हैं |
वेदों को संकुचितता का जामा पहनाकर देकर अपना म्लेच्छ सिद्धान्त हिन्दू समाज पर हावी करने की साजिश रचाने वाले समाजी असुरों से सावधान रहें !!!!
हिन्दू कभी किसी फर्जी महर्षि दयानंद की नहीं अपितु वास्तविक महर्षि वेदव्यास की सुनकर चलते हैं -
एकं शास्त्रं देवकीपुत्रगीतमेको देवो देवकीपुत्र एव |
एको मन्त्रस्तस्य नामानि यानि कर्माप्येकं तस्य देवस्य सेवा ||
इन साजिशकर्ता असुरों के विरुद्ध हर सनातनी को अपनी-अपनी भूमिका से शंखनाद करना चाहिए |
जय श्री कृष्ण !!!
|| जय श्री राम ||
जय श्री कृष्ण !!!
|| जय श्री राम ||
क्या महर्षि दयानंद सरस्वती परिव्राजकाचार्य धुर्त थे ? आप " सत्यार्थ प्रकाश " पढे ...
ReplyDeleteउस मे उनके द्वारा वेदोक्त ज्ञान संपादित किया गया है |
हा , महा धूर्त था वो.. नन्ही जान का आशिक था। ....
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