Tuesday, April 15, 2014

वेद में शूद्रों के वेद पढ़ने का निषेध -

वेद में शूद्रों के वेद पढ़ने का निषेध -
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१ -यथेमां वाचं कल्याणीमावदानी जनेभ्यः | ब्रह्मराजन्याभ्याम शूद्रायचार्याय च स्वाय चारणाय च| यजुर्वेद (२६ -२ )


२- स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयन्ती पावमानी द्विजानाम् | आयुः प्राणं प्रजां पशुं कीर्तिं पृथिव्यां द्रविणं ब्रह्मवर्चसं | मह्यं दत्वा व्रजत ब्रह्मलोकम् |(अथर्व०१९/71/१)

१- यथेमां वाचं कल्याणी० इस मन्त्र को भ्रामक रूप में प्रस्तुत कर आर्य समाजियों ने न जाने कितना उत्पात मचाया | चलो एक क्षण के लिए सनातन धर्म का जातिवादी मत मत मानो ; दयानंद के अनुसार तो जो वेद पढ़ने में असमर्थ हो उसे शूद्र (मूर्खात्वादिगुणविशिष्ट पुरुष ) कहते हैं | फिर भला वेदमन्त्र शूद्र को वेद पढ़ने का अधिकारी कैसे कहेंगे ?? कभी विचार किया ?

जन्मना जायते शूद्रः - ये कहाँ का श्लोकांश है जानते हो ?? ...मनु स्मृति ?? नही ! पुराण का है और पुराण स्पष्ट शूद्र के लिए वेद पढने का निषेध करते हैं |

२- स्तुता मया वरदा वेदमाता० इस मन्त्र में स्पष्ट द्विजों के लिए वेदवाणी की प्रवृत्ति स्पष्ट हुई है क्योंकि जो द्विज होगा वही वेद का अधिकारी होगा |

दोनों मन्त्रों में ''वाचं'' और ''वेद '' दो शब्द स्पष्ट हैं | वाचं के अंतर्गत समस्त वैदिक वाङ्मय ग्रहण किया जा सकता है | इतिहास तथा पुराण भी वाङ्मय के अंतर्गत हैं ; जिसे शूद्र भी श्रवण कर सकते हैं तो इस प्रकार वैदिक वाङ्मय के अंतर्गत शूद्र का समावेश हो जाता है किन्तु वेद शब्द के अंतर्गत ये बात नही इसलिए स्तुता मया वरदा वेदमाता० यह वेदमन्त्र केवल द्विजों के लिए वेद की प्रवृत्ति दर्शा रहा है |

अतः शूद्र को वेद पढने का अधिकार नही |

||जय श्री राम ||



प्रश्न- केवल शूद्र के लिए ही वेद का निषेध क्यों किया गया ?

उत्तर- वैदिक विज्ञान के अनुसार किसी भी जीव को उसके पूर्वजन्म के कर्मों (प्रारब्ध) के

प्रभाव से शूद्रवंश या ब्राह्मण वंश आदि में पैदा होने का भाग्य मिलता है | हम जैसा कर्म

करते हैं उसी के अनुरूप भगवान द्वारा हमारा आगामी जन्म निश्चित होता है | यही

प्रकृति का नियम है |

शूद्र्वंश का शरीर रजः प्रधान तमो गुण का विक्षेप होता है , जिसमे तमः संस्पर्श होने

से परम पवित्र अपौरुषेय तथा अलौकिक वेदध्वनि का प्रतिस्थापन नही किया जा

सकता| इसीलिये शास्त्रों में बार-बार उनके लिए वेद का निषेध हुआ है |

अतः उनके लिए हमारे परम करुणामय महान ऋषि -मुनियों ने इतिहास (रामायण/

महाभारत ) तथा पुराणों के श्रवणादि की संस्तुति की ताकि उन शूद्र शरीर वाले जीवों

का भी आत्मोद्धार हो सके |

||जय श्री राम ||

3 comments:

  1. कोई वेद पढ़ना न चाहे वह उसकी मर्ज़ी है
    लेकिन वेद पढ़ने से रोकना तय पाप है
    जब ईश्वर की बनाई हवा पानी प्रकाश आदि सबको प्राप्त है तो उसका ज्ञान (वेद) भी सबके लिए है शूद्र जब वेद पढेगा तब ही वह ब्राह्मण पद को पाएगा

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  2. कोई वेद पढ़ना न चाहे वह उसकी मर्ज़ी है
    लेकिन वेद पढ़ने से रोकना तय पाप है
    जब ईश्वर की बनाई हवा पानी प्रकाश आदि सबको प्राप्त है तो उसका ज्ञान (वेद) भी सबके लिए है शूद्र जब वेद पढेगा तब ही वह ब्राह्मण पद को पाएगा
    क्योंकि ब्राह्मण के घर में जन्म लेने से कोई ब्राह्मण हो यह जरूरी नहीं है

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  3. जन्मना जायते शूद्र
    जन्म से तो सभी शूद्र है

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