Tuesday, February 19, 2013

शिवलिंग के रंग दिन में तीन बार बदलते हैं





उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर के कोतवाली इलाके में स्थित एक मंदिर में स्थित जुड़वा शिवलिंग के रंग दिन में तीन बार बदलते हैं।

सुबह में शिवलिंग का रंग भूरा, दोपहर में हरा और शाम में काला हो जाता है।

करीब चार सौ साल पुराने शिवलिंग की इतनी मान्यता है कि देश के कोने कोने से लोग अपनी मुरादें लिये यहां आते हैं जो पूरी होती है।

शहीदों की नगरी शाहजहांपुर के कोतवाली इलाके के चौक में बाबा चौकसीनाथ का मंदिर है जिसमें यह जुड़वा शिवलिंग लगा है जो चार सौ साल पुराना है।

बादशाह शाहजहां के सिपहसालार सुखलाल चौकसी चार सौ साल पहले यहां आये थे। उस समय गर्रा नदी पर पुल का निर्माण हो रहा था।

उन्होंनें अपने सहयोगियों के साथ यहां रहने की योजना बनायी। उस वक्त इस इलाके में पेड़ और झाड़ियों ही थीं। पेड़ और झाडियों को काट कर जब साफ किया जा रहा था तब एक कुल्हाड़ी शिवलिंग से जा टकरायी। शिवलिंग को जब खोद कर निकाला गया तो उस पर कुल्हाड़ी का निशान बना था।

इसके बाद सुखलाल चौकसी ने बादशाह शाहजहां की नौकरी छोड़ दी और यहीं रह कर पूर्जा अर्चना करने लगे। शिवलिंग को स्थापित कर एक मंदिर का निर्माण कराया गया जिसे चौकसी बाबा मंदिर का नाम दिया गया। अमावस्या और सोमवार के दिन यहां दूर दूर से श्रद्धालु अपनी मनौती लिये यहां आते हैं।

हर साल महाशिवरात्रि को यहां भव्य आयोजन होता है। इस दिन यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है।

यह मंदिर पौराणिक होने के साथ ही आस्था का भी केन्द्र है। बताते हैं कि बाबा चौकसी नाथ के मंदिर से कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटा। लोग यहां झोली फैलाकर आते हैं और भरकर ले जाते हैं। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात इसका जुड़वा होना है। मंदिर में शिवलिंग के निकट ही शाहजहां से लेकर ब्रिटिश काल तक के सिक्के लगे हैं। जोडे में शिवलिंग को शिव पार्वती का स्वरूप माना जाता है।

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